Wednesday, February 15, 2012

मेरी बिछड़ी जाना तुमसे, बहोत मोहब्बत करता हूं

क्यों इल्जाम लगाम लगाऊं तुमपर, क्या तुमने अपराध किया है 
बस अपनी खुशियों की खातिर, गैर का दामन थाम लिया है
फिर मुझपर क्यों ठहरी नजरें, इसका कोई जवाब तो दे 
तुझे भूलाकर नशा करा दे , ऐसी कोई शराब तो दे 

तू ही कतल आ कर दे मेरा, यही तमन्ना रखता हूं
मेरी बिछड़ी जाना तुमसे, बहोत मोहब्बत करता हूं

इन पलकों पर तेरे आंसू, क्यों रहते हैं ये तो बता
तेरी यादों के बादल यूँ , क्यों मंडराएं ये तो बता
तू खुश है तो मै भी खुश हूं , चाहे ये हो कोई सजा
फिर चाहे मुझे मौत मिले, तेरी खुशी और तेरी रजा

तू ही आकर जहर पिला दे, आखरी ख्वाहिश रखता हूं
मेरी बिछड़ी जाना तुमसे, बहोत मोहब्बत करता हूं

डोली वाली सुन तो जरा, मुझ पर तू विश्वास तो रख
जाना है तो शौख से जा, मेरा कलेजा साथ तो रख
तेरी यूं उखड़ी सी अदांए , मैं तो सह ना पाऊंगा
तेरे गली के नीम तले, मैं तड़प-तड़प मर जाऊंगा

तेरी खुशीयों पर आंच न आए, यही गुजारिश करता हूं
मेरी बिछड़ी जाना तुमसे, बहोत मोहब्बत करता हूं

तेरी गली के गुलमोहर में , फिर से बहारें आई हैं
मेरे बगिचे की कलियाँ क्यों, आज भी यूँ अलसायी हैं
तेरी अदांओ को कातिल मैं , कैसे बिसराऊं ये तो बता
अपने ही खंजर को सीने में, कैसे बुझांऊं ये तो बता

तुझको खुशियों का बाग मिले, मैं यही तमन्ना रखता हूं
मेरी बिछड़ी जाना तुमसे, बहोत मोहब्बत करता हूं             :देवेश तिवारी 

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