Thursday, October 31, 2013

छत्तीसगढ़ आंदोनकारीयों के सपनों में ऐसा छत्तीसगढ़ नहीं था।

 छत्तीसगढ़ आंदोनकारीयों के सपनों में ऐसा छत्तीसगढ़ नहीं था।
देवेश तिवारी अमोरा

छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के 13 साल हो गए मगर क्या छत्तीसगढ़ उन कसौटीयों पर खरा उतर पाया जिस छत्तीसगढ़ का सपना लेकर आंदोलनकारीयों ने राज्य निर्माण की रूपरेखा रची थी। 10 साल के कार्यकाल बीत जाने के बाद भी क्या वो सपने पूरे हो पाए ​जो आंदोलनकारीयों की आंखो में थे।
मुख्यमंत्री डाक्टर रमन सिंह की जुबान पर भले ही छत्तीसगढ़ के विकास की बानगी नजर आती हो.. दो करोड़ 55 लाख छत्तीसगढ़ीयों की दुहाई देते डाक्टर साहब की जीभ चिपकती भी नहीं है। मगर राज्य के निर्माण में ​रायपुर के रामसागरपारा से संसद तक आंदोलन करते हुए लाठीयां खाने वाले... ऐसे छत्तीसगढ़ की कल्पना नहीं करते जैसा छत्तीसगढ़ नजर आता है। आंदोलन करने वाले अधिकांश नेता स्वर्गवासी हो चुके हैं। मगर जो जिंदा हैं उनकी भी हालत कुछ ठीक नहीं है।
आप हैं...जागेश्वर प्रसाद...छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण में अगुवाई की है...2 कमरों के घर में रहते हैं..राज्य निर्माण के बाद छत्तीसगढ़ीयों के हक की बातें आज भी हैं..मगर निराश हैं छत्तीसगढ़ में रमन सरकार के कामकाज से.. कहते हैं राजा ही छत्तीसगढ़ीया नहीं फिर प्रजा क्या उम्मीद लगाए.. मन में टीस है कि किसानों को उनका हक क्यों नहीं मिल पाया..कहते हैं छत्तीसगढ़ ने आर्थिक सामाजिक आजादी मांगी थी.
.छत्तीसगढ़ ने आत्मविश्वास और शोषण से मुक्ति मांगा था...मगर मिला केवल राज्य..किसान आज भी आत्महत्याएं कर रहें हैं और रमन राज में छले जा रहे हैं किसान...इन्हें दुख: इस बात का भी है कि जिस भाषा के आधार पर राज्य निर्माण की अलख जगाई गई थी..मुख्यमंत्री रमन सिंह ने उसे भी सम्मान नहीं दिया..राज्य में धन्नासेठ अमीर होते चले गए..हर वो शक्स उपकृत किया गया जिसने राज्य निर्माण का विरोध किया था..और राज्य निर्माण के आंदोलन कारी..कलाकार..छत्तीसगढ़िया किसान सरकार की उपेक्षा और अपमान का शिकार हो रहे हैं।
प्रदेश की अस्मिता राज्य की भाषा.. लोक कलाकारों के कंधो पर टिकी होती है लेकिन जब कलाकार ही अपमानित हो..तब.. सरकारों को अपनी गिरेबां में झांकना पड़ता है। रमन सिंह जी ये वही चेतन देवांगन हैं जिन्हें पंडवानी के जनक झाडूराम ने पंडवानी सिखाया है। जो छत्तीसगढ़ निर्माण की लड़ाई में संसद भवन घेराव करते हुए लाठी खा रहे थे। मगर इनके संघर्ष का ये सिला आपने दिया..लोक कलाकार चेतन देवांगन कहते हैं, कि राज्य के ही राज्योत्सव में सलमान और करीना को 3 करोड़ और इन माटी के लालों की कला का आकलन केवल 5 और 10 हजार में किया जाता है।
राज्य निर्माण में सक्रिय रहे छत्तीसगढ़ समाज पार्टी ने किसानों की खुशहाली मांगी थी... किसी के सामने खड़े होकर छत्तीसगढ़ीया होने का गर्व मांगा था..भाजपा को 2003 में सत्ता भी इसी बिनाह पर मिली की आप उनको हक दिलाएंगे.. लेकिन पुंजीवाद के पोषकों से किसानों की बात नहीं कि जानी चाहिए.. जिनके चिंतन में शॉपिंग मॉल् और फलाईओवर विकास का पैमाना हो.. जो किसानों की बजाय क्रिस्टल के घरों की बात सुनना पसंद करते हैं।
बुनियाद पर इमारत उंची हो जाती है..बुनियाद जमीन पर दबने के बाद नजर भी नहीं आते..फिर उनकी इंटों की क्या बिसात..मगर छत्तीसगढ़ राज्य के निर्माण का सपना देखने वाली आंखें आज भी उदास हैं..वजह सरकार ने छत्तीसगढ़ियों को उनका हक नहीं दिया। मुख्यमंत्री डाक्टर रमन सिंह जी.. वर्तमान अतीत को याद नहीं करता मगर अतीत की परछाई से पीछा छुड़ाया भी नहीं जा सकता.. आज भी छत्तीसगढ़ीयों के पीठ पर 1965 से 2000 तक छत्तीसगढ़ राज्य आंदोलन की वजह से पड़ी लाठीयों का दर्द बाकी है। वर्तमान वादाखिलाफी के लिए किसी को माफ जरूर कर सकता है। मगर इतिहास के पन्नों में हर वादा..हर दावा..और किसी सपने की हत्या के अपराध जरूर दर्ज किए जाएंगे..

2 comments:

  1. सच ही कहा गया है कि समय लिखेगा सबका इतिहास... बाकी ये पढ़कर काफी अच्छा लगा कि छत्तीसगढ़ के निर्माण से जुड़े लोगों को आपने सामने लाया... वास्तव में राज्य जिन मकसदों से बनाया जाता है उसे पूरा करना हम सबका दायित्व है...

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