Thursday, February 16, 2012

फोटो क्यों खींचते हो


उसने कहा फोटो क्यों खींचते हो .. मैंने कोई गलत काम नहीं किया है थोड़ी समझाइश के बाद वो सरल हो गई .. आप हैं फूल बाई जो  74 साल की अवस्था में दिन के चार घंटे नाली में सर गडाये रखती है .. ताकि कुछ पैसे मिल जाएँ और वो परिवार का सहयोग कर सके| फूलबाई 64 सालों से इसी तरह गन्दी नालियों में जिंदगी तलाश कर अपना और अपने बच्चों का पेट पाल रही है .. सुबह 10 बजे से नालियों से रेत निकालने का सिलसिला शुरू होता है जो शाम चार बजे तक चलता है| रायपुर में बजबजाती नालियां जिसके पास जाने में भी हम घिनाते हैं ऐसी जगह के पाटे पर बैठकर घंटो तसला घुमाकर नाली के निचले सतह से रेत निकला जाता है| फूलबाई सुनारों की बस्ती के नालियों से इसी तरह  रेत इकठ्ठा कर उसे सुखाती है और बिना चश्मा के उनसे सोने के महीन कण अलग करती है .. फूलबाई का पूरा परिवार इसी काम में लगा रहता है | फूलबाई चाहकर भी अपने बच्चों को पढ़ा नहीं पाई| रोते हुए कहती है कि, मैं जब तक जिन्दा हूँ और हड्डियों में जान है कमाती रहूंगी, ताकि नाती पोतों को पढ़ा लिखा सकूँ .. वो नहीं चाहती की उसके नातीयों को किसी रईसजादे के आलीशान शोरूम के सामने नाली से रेत छानना पड़े| फुल बाई को कई बार नाली में चांदी के टुकड़े भी मिल जाते हैं तो कारीगर उससे जबरजस्ती कर टुकड़ा छीन लेता है .. फिर भी दिन भर में 50 से 80 रूपये कमाने के लिए वो जद्दोजहत करती हुई अपमान के घूंट पी जाती है ..| समय के साथ फुल बाई अब पन्नी और लोहे जैसे मोटे कचरे भी बीनकर बेचने लगी है .. बताती है इससे 10 रूपये की अलग कमाई हो जाती है जो बच्चों के खाई खजाने के काम आ जाते हैं| फूलबाई के इस उम्र में ऐसे जज्बे और आने वाली पीढ़ी के लिए सोंच को देख कर सलाम करने कि इच्छा होती है| कुछ पल मैंने भी फूलबाई के साथ बिताए.. फूलबाई पढ़ी-लिखी नहीं है लेकिन जिंदगी का अच्छा तजुर्बा रखती है|  : devesh tiwari 

2 comments:

  1. एक नौजवान साथी को समाज के असली मुद्दों पर लिखते देख अच्छा लगा! सनकी बेवकूफाना ब्लॉग जगत में आप जैसे साथी असली मुद्दों को सामने ला रहे हैं ये न केवल सराहनीय है आपितु आशा की किरण भी! आशा है तथाकथित 'छोटे' मुद्दों पर आपकी पैनी नज़र हमारी आँखों और दिलों का जाला साफ़ करती रहेगी! कुछ रिपोर्ट चरखा वालों (charkha dot org)को भी भेजिए वो तीन भाषाओँ हिंदी उर्दू और इंग्लिश में ट्रांसलेशन करके स्टोरी छपवाते हैं! विकास और विनाश की तल्ख़ सच्चाई ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुचनी ही चाहिए

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    1. shafid ji सुझाव के लिए आपका आभार आपने सराहा इसी तरह आगे भी लिखने की कोशिश रहेगी स्टोरी कहां भेजनी है ​मुझे इसकी जानकारी नहीं है आप लिंग देंगे ​तो कृपा होगी

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