Thursday, June 5, 2014

छ.ग. स्वास्थ्य व्यवस्था का बलात्कार : देवेश तिवारी अमोरा

 छ.ग. स्वास्थ्य  व्यवस्था का बलात्कार  : देवेश तिवारी अमोरा
 
3 साल की बच्ची से रेप के मामले में सियासत शुरू हो गई है, जो होनी ही थी.. प्रदेश की स्वास्थ्य वयवस्था की लाचारी और बेबसी पर विपक्ष ने सवाल खड़े किए हैं तो ​सत्तासीन मंत्री ने भरोसा दिलाया है कि अन्याय नहीं होगा...बच्ची से बलात्कार होने के बाद बच्ची का पिता इलाज के लिए 4 अस्पतालों के चक्कर लगाता रहा, और स्वास्थ्य महकमें में कोई रहनुमा न मिला जो पीड़िता का इलाज कर पाता.. सियासत अगर उत्तर प्रदेश के वदायूं पर है तो छत्तीसगढ़ का विपक्ष इससे कैसे अछूता रह सकता है। 

        डौंडीलोहारा में 3 साल की बच्ची के साथ बलात्कार का होना बेशक एक जघन्य अपराध है..सत्ता ​और विपक्ष भी इसकी निंदा करता है लेकिन, बलात्कार के बाद परिवार के साथ हुआ उसे लेकर सियासतदारों की चुप्पी हो तो इसे लोकतंत्र के लिए भी खतरा कहा जा सकता है। आखिर घटना के 24 घंटे बाद इस मामले में राजनीति के झंडाबरदारों के बयान आने शुरू हुए..रेप की घटना के बाद पीड़िता का पिता अपनी मासूम बच्ची को कलेजे से लगाए 4 —4 अस्पतालों के चक्कर काटता रहा...इलाज की आस तो दूर कहीं इतनी उम्मीद भी न थी कि स्वास्थ्य परिक्षण तक हो सके..
           कांग्रेस बलात्कार के मसले पर झलियामारी से लेकर डौंडीलोहारा तक के मसलों को समेटती है..कहती है सत्तासीन पार्टी को वदायूं पर गुस्सा आता है..यही पार्टी लखनउ में प्रर्दशन करती है तो बलात्कार के बाद स्वास्थ्य महकमें की बेरूखी पर सत्ता के आंखों में गैरजिम्मेदारगी का अपराधबोध नहीं है। हॉलाकि राज्य के पर्यावरण और आवास मंत्री इस मामले में दोषीयों को सजा दिलाने की पैरवी करते हैं।
स्वास्थ्य विभाग के मंत्री अमर अग्रवाल का अब तक इस मसले पर कोई आदेश नहीं आया..राजनीति की शुचिता स्वास्थ्य मंत्री से अगली बार ऐसा नहीं होने का आश्वासन चाहती है। स्वा​स्थय मंत्री को सनद हो इससे पहले भी स्वास्थ्य विभाग का यही रवैया, कर्वधा की झनको बाई के साथ हो चुका है। छनको बाई के गर्भाशय से बच्चे का हाथ बाहर आ चुका था, तिन दिन तीन जिले के चक्कर लगाने के बाद भी उसे इलाज न मिल

सका..और बच्चे की मौत हो गई। आंखफोड़वा, गर्भाशय कांड, पीलिया, न जाने क्या क्या आपके मंत्रीत्व काल की उपलब्धियां हैं..मगर पानी सर से उपर जा चुका है, अब आवाम आश्वासन नहीं विश्वास चाहता है​ कि,फिर कोई मासूम किसी घटना के बाद अस्पतालों के चक्कर काटने पर मजबूर न हो,आवाम जानना चाहता है कि बलात्कार की घटना के शिकार पीड़िताओं के साथ स्वास्थ्य महकमें का व्यवहार कब बदलेगा..कब लाचार मां बाप अपनी बच्ची को लेकर 3 — 3 जिलों के चक्कर लगाने पर मजबूर नहीं होंगे। कई सवाल हैं जिन्हें सूबे के लोग प्रदेश सरकार से जानना चाहते हैं। मगर सत्ता का नशा ही ऐसा है कि 24 घंटे बीत जाने के बाद भी अब तक जिम्मेदार लोगों पर कार्यवाई नहीं हो सकी है, अब देखना है कि विपक्ष का अंकुश इस तरह के संवेदनशील मसले पर लालफीता लपेटे गजराज को कैसे राह पर लाता है कि इस रास्ते में हर बच्ची हर पिता और हर मां को त्वरीत न्याय मिले..उससे पहले त्वरित इलाज मिले।

2 comments:

  1. Its loves to see that people from Bilaspur or Raipur are also coming on the blogging platform and leaving there valuable comment.Its my humble request to you keep continue good work ...Kudoooss

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