Monday, April 4, 2011

क्रिकेट - यह कैसा उन्माद : देवेश तिवारी ...



भारत ने पुरे विश्व की टीमों को हराकर फाइनल जीता यह निश्चित ही कबीले तारीफ है मैंने भी इस जीता  का खूब लुत्फ उठाया .. मगर कहीं न कहीं ऐसा लगता है की इस तरह की जीत से तो हारना अच्छा था ! .. मै देश के अरबों खेलप्रेमियों,  माफ कीजियेगा क्रिकेट प्रेमियों से माफी चाहुंगा  अगर उन्हें मेरी बात का बुरा लगा हो । बात ही कुछ चींता जनक है । 
          पहले तो भारत और पाकिस्तान के बीच हुए मैच की बात करना चाहूँगा । मैच के पहले ही हमने मैच को इस तरह से पेश  किया जैसे वह मैच ना हो बल्कि कारगिल की लड़ाई हो । एक समाचार पत्र ने तो बीच में वर्ल्डकप रखकर आजु बाजु दोनों देशों के कप्तानों को बन्दुक लेकर खड़ा कर दिया । मैच के पहले तक लोगों में मैच को लेकर इस तरह का माहौल बनाया गया  जैसे इस मैच को नहीं जितने पर भारतीयों पर कहर गीर पड़ेगा । जैसे तैसे भारत मैच जीत भी गया यह खुशी  की बात है मगर खुशी  जाहिर करने का तरिका बदला हुआ था ना जाने क्यों भारत में आजकल पेट्रोल जलाकर खुशी  मनाने का नया ट्रेंड आया हुआ है । क्या अस्पताल क्या वृद्धाश्रम सड़क पर युवाओं की टोलीयां लगातार हार्न बजाते नीकल पडी।  सभी पाकिस्तान मुर्दाबाद के नारे लगा रहे थे कुछ तो मुंह से जाति विशेष के लिए अपशब्द के गुब्बारे छोड़ रहे थे । इतने में भी मन नहीं भरा तो बाईक से टकराकर लड़ाईयां भी करने लगे । क्या यह  हमारे खुशी जताने का तरिका है।
             भारत और श्री लंका के मैच को तो राम और रावण के युद्ध की तरह दिखाया गया । कई समाचार चैनलों ने धोनी को राम तथा श्रीलंकायी टीम के खीलाडि़यों को रावण के दस सिरों की तरह दिखाया । मोबाईल के मैसेज की अगर बात करें तो दिन भर वल्र्ड कप को सीता माता के अपहरण और उसे वापस लाने के संबंध में मैसेज आते रहे । क्या सही मायने में श्री लंकाई खिलाड़ी रावण की तरह दिखते हैं या उनके कर्म राक्षसी हैं । यदि ऐसा नहीं है तो खिलाड़ीयों को  क्यों भगवान , राक्षस की तरह दिखाया गया । इस मैच को भी भारत ने जीत लिया । खेल का उद्देश्य हमेंशा दो देशों के बीच आपसी तालमेल केस बढ़ना होता है न कि साम्रप्रदायिक तौर पर खेल को पेश कर आपसी सदभाव को ठेस पंहुचाना । भारत की जीत पर उन्माद का होना आम बात है मगर अति उन्माद ऐसा भी क्या जो अपने ही देष के लोगों को खराब लगे । उन्माद के पीछे का कारण यह हो सकता है की चैनलों ने मैच को जीने मरने का, प्रतिष्ठा का प्रश्न बना दिया था।  मगर कभी हमने सोंचा की वे ऐसा सा इसलिए कर रहे हैं क्योंकि उन्माद जितना अधिक होगा लोगों का उससे सीधा जुड़ाव होगा और बाद में लोगों के इसी लगाव और उन्माद को साबुन और तेल में रैपर बनाकर बेचा जाऐगा और जो खिलाड़ी इस मैच के हीरो बने हैं वे भी विज्ञापनों के माध्यम से मोटी रकम कमानें में कामयाब हो सकेंगे ।
              इन मैचों पर सीयासत भी जमकर देखने को मिली जहां एक तरफ पूरे देश  में काला धन वापस लाओ , भ्रष्टाचार मिटाओ देश बचाओ की लहर चल रही थी वहीं घोटालों के आरोप से घिरी मनमोहन की सरकार ने मैदान में पंहुच कर निकम्मी सरकार के नजरीये को बदलकर कम आन इंडिया बना दिया । जिस देश में भ्रष्टाचार ,भुखमरी , स्वास्थ सुविधाओं में कमी , कुपोषण, बेरोजगारी  , काला धन वापस लाओ जैसे मुद्दे प्रमुखता से छाये हो ऐसे  देश  का प्रधानमंत्री अपनी मजबुरी का बहाना बनाकर बेशर्मी से हंसता है । और  क्रिकेट के मैदान में पंहुचकर देश  का ध्यान बंटाने की कोशीश करता है और हम खुशी खुशी  उन्हें माफ कर देते हैं । क्रिकेट मैच जितते ही हमारे अंदर राष्ट्रभक्ति की भावना जाग जाती है बाकि पूरे साल हम इसी देश के विकास का पैसा लूटते रहते हैं ।
              क्रिकेट को समाचारपत्रों ने इतनी तवज्जो दी की बाकि खबरें धरी की धरी रह गयी या नियत स्थान नहीं बना सकी । जापान में रेडियो एक्टिव जल समुद्र में घुलने लगा मगर इतनी बड़ी खबर को तीसरे पृष्ठ पर स्थान दिया गया | यह क्रिकेट का उन्माद नहीं तो और क्या है, हे राम अगर आपने ही वर्ल्डकप जिताया है तो आप ही हमारे लोगों को सदबुद्धि दें ...।

2 comments:

  1. वर्तनी के संशोधन सुझाव (कोष्‍टक में) पर ध्‍यान दें-
    भारत ने पुरे (पूरे) विश्व की टीमों को हराकर फाइनल जीता यह निश्चित ही कबीले (काबिले) तारीफ है मैंने भी इस जीता (जीत) का खूब लुत्फ उठाया .. मगर कहीं न कहीं ऐसा लगता है की इस तरह की जीत से तो हारना अच्छा था ! .. मै देश के अरबों खेलप्रेमियों, माफ कीजियेगा क्रिकेट प्रेमियों से माफी चाहुंगा (चाहूंगा) अगर उन्हें मेरी बात का बुरा लगा हो । बात ही कुछ चींता (चिंता) जनक है ।

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  2. rahul ji meri vartni bahut hi jyada kharab hai mai is chinta se lambe samay se jujh rha hu kai martba sharminda hona pda magar vicharo ki abhivyakti ke liye mai vartni ko doyam darja deta hu ......isliye likhta hu vartni par dhyan jarur dunga aapke sujhav ke liye aabhari rahunga........

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