Friday, February 18, 2011

(( “ देश के लुटेरे ” )) नई फ़िल्म - देवेश तिवारी


(( देश के लुटेरे )) आपने समुन्दर के लुटेरे फ़िल्म जरुर देखी होगी नहीं भी देखा है तो कोई बात नहीं मैंने एक फ़िल्म बनाने कि सोची है ये जरुर देखिएगा .. इस फ़िल्म के लुटेरों कि खास बात ये है कि ये अपने ही जहाज को लुटते हैं इसमें तीन लुटेरे हैं वैसे तो लाखो लुटेरे हैं | लेकिन तीन ही मुख्य हैं इसमें एक किरदार अहम है मगनमोहन उसकी बिल्ली का नाम गठबंधन है यह लुटेरों के जहाज का सेनापति है, जो खुद लुट में खुद शामिल नहीं होता लेकिन चूँकि ये सेनापति है और इसने लुटेरों के साथ गठबंधन किया है इसलिए ये खामोश रहता है | ये कभी हाई स्कुल का छात्र बन जाता है कभी अपनी मजबुरी का बहाना बना कर बच निकलता है अपने जहाज को लुटता देख मगनमोहन बड़ी निर्लज्जता से हस्त भी है | इनका  जहाज पर कभी महंगाई के बारिश में फँस जाता  है तो ये कहते हैं कि हमारे पास इससे बचने कि कोई अलादीन का चिराग नहीं है जो बड़ी सी छतरी बना दे | ये बारिश पर काबू पा लेने कि बात तो करते हैं लेकिन जिन लोगों ने इनके जहाज को बनाया है वे बड़े ही निकम्मे और बेवकूफ लोग हैं कभी कभार तो जहाज बनाते हैं वो भी  शराब , साडी , या किसी दूसरे लालच में | इस कहानी का अंत कभी नहीं होता ये भ्रष्टाचार के लहरों  में तैरते रहते  हैं और खजाना लुटते रहते हैं हा जो मगनमोहन है उसके सेनापति बनने में उसकी बिल्ली गठबंधन का बहुत बड़ा हाथ है वो दूसरे लोगों को मनाने का कम करती है इस फ़िल्म में एक किरदार है झलमाडी जो समुन्दर में खेल प्रतियोगिता कराता है और अपने ही जहाज का पैसा लुट लेता है , एक किरदार है ए माजा ये लोगों को फोन बाटने का काम करता है और खजाना लुट लेता है और एक किरदार है शोक चंडाल, ये अपने सिपाहियों के लिए घर बनाता है और खुद हड़प लेता है मगनमोहन इनको कभी कभार छोटी मोटी सजा भी देता है इन सबके पीछे है मास्टर माइंड तानिया ये तानिया मगनमोहन कि भी बॉस है उसके इशारे पर जहाज चलता है ऐसा बताया जाता है कि उसके पुरखों ने जहाज को बनाने में बड़ी मेहनत की थी ये जहाज टाइटेनिक भी नहीं है जो ग्लेशियर से टकराकर डूब जाए | अरे मैंने तो आपको जहाज का नाम ही नहीं बताया जहाज का नाम है भारत हा इस फ़िल्म के दर्शको का मैंने अनुमान लगाया है जो कभी कभार तालियाँ बजाते हैं बाकि समय हाथ पर हाथ धरे देखते रहते हैं ..........  - देवेश तिवारी

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