Friday, February 25, 2011

माँ मुझे भूख लगी है - देवेश तिवारी

माँ मुझे भूख लगी है                        

दौड़ता रहा माँ भागता रहा माँ
गरीबी की पीड़ा को भाँपता रहा माँ
बेरहम दुनिया ने मुझे बहुत सताया
अब थककर माँ मै तेरे पास आया             कुछ खाने को दे माँ, मुझे भूख लगी है

जो अपने थे कल तक अब पराये हैं माँ
दहलिज पर काँटे बिछाये हैं माँ
जहाँ भी गया मुझे सब ने ठुकराया
मन हारकर माँ मै तेरे पास आया
                     कुछ खाने को दे माँ, मुझे भूख लगी है
वो देख माँ रोटी कुत्ते भी खा रहे हैं
परोपकारी संसार को कैसे मुँह चिढ़ा रहे हैं
जो पेट ना होता तो ये भूख भी ना होती
न माँ तू मेरे सिराने पर यूँ रोती
                    कुछ खाने को दे माँ, मुझे भूख लगी है
मुझे लगा तह माँ मै अकेला रो रहा हूँ
पर तेरी आँखों में भी मै आँसू देख रहा हूँ
तू चुप हो जा माँ मै रोटी खोज कर लाऊंगा
तू हाथ नहीं फैलाना माँ मै जीते जी मर जाऊंगा
                    तू चुप हो जा माँ, मेरी भूख मर चुकी है -

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