Wednesday, March 11, 2015

गरीब के अनाज में कंकर मिलाकर पैसे कमाने की कहानी : देवेश तिवारी अमोरा


छत्तीसगढ़ में हुए नागरिक आपूर्ती निगम यानी नान में हुए घोटाले को लेकर तरह तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं। एंटी करप्शन ब्यूरो अपने स्तर पर काम कर रहा है। इसकी रिपोर्टिंग करते हुए कई ऐसे तथ्य सामने आए जिसे देखकर यह लगा कि सरकार इसे जिस तरह से डील कर रही है असल में मामला उतना सामान्य नहीं है।  नान यानी की सीधे तौर पर पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम से जुड़ा हुआ है, एक रोज जब एक बूढ़ा इंसान पोटली में चावल लिए मेरे पास पंहुचा और उसने कहा कि देखिए ये चावल मिला है पीडीएस में, मुझे यकीन नहीं हुआ पीला सड़ा हुआ चावल और कनकी मिक्स जिसे केवल नाम से चावल कहा जा सकता है। मार्कफेड और नागरिक आपूर्ती निगम की आंखों से छनकर गलत चावल पंहुच जाए जिसमें चावल कम और कंकड़ ज्यादा हों तो विश्वास नहीं होता, मगर बूढ़े की आंखे बता रही थी, कि, चावल में जानबूझकर मिलावट की गई है।

जब नागरिक आपूर्ती निगम के दफ्तर में छापा पड़ा तो यह शायद किसी ने भी नहीं सोंचा होगा कि इसमें इतने बड़े लोगों के नाम सामने आएंगे, जब घोटाले की प्रेस कान्फ्रेंस हो रही थी उस दौरान एडीजी एसीबी मुकेश गुप्ता ने कहा कि, हमारे जांच का दायरा केवल इतना भर है कि, भ्रष्टाचार कौन कर रहा था। छापे में पौने दो करोड़ की राशि किनसे बरामद हुई उन्हें सजा दिलाना, पैसे किसके पास जाते हैं इससे कोई सरोकार नहीं है। जरूरत पड़ेगी तो बताएंगे या नहीं भी बताएंगे। यह भी बताया गया, कि भ्रष्टाचार करने वाले पीए डायरी मेंटेन करते थे, उनके फोन भी टेप किए गए।

जब इस पूरे प्रकरण का बारिकी से अध्ययन किया गया तब मुझे यह लगा कि, इस प्रकरण में जो अफवाहें चल रही है उसकी पुष्टी सी हो गई। डायरी में प्रदेश के चार बड़े आई ए एस अधिकारीयों के नाम होने की बात है। कहते हैं ईमान के पैसे में खतरा नहीं होता लिहाजा कोई इसका हिसाब नहीं रखता, मगर अगर पैसा गलत ​जरिए का हो तो हिसाब रखना पड़ता है। यहां मामला माल और उस पर अटकी जान का भी होता है। नान के एमडी अनिल टूटेजा के पीए गीरिश शर्मा ने भी पैसे लेन देन की डीटेल का संकलन कर रखा था,
राज्य सरकार ने छोटे मोटे अधिकारीयों पर कार्रवाई की और बड़ी म​छलियों को छोड़ दिया गया, इस मसले पर मुख्यमंत्री ने कहा कि, एसीबी जांच कर रही है, ईओडब्लयू ने ही खुलासा किया है, हम जीरो टालरेंस चाहते हैं। आखिरी बयान यह है कि विपक्ष चाहे तो कोर्ट जाए किसने रोका है। आखिर तक रिपोर्टों को लेकर खंडन नहीं किया गया कि डायरी में जिन अधिकारीयों को पैसे देने और करिबीयों को पैसे देने की बात कही गई है उसमें कुछ भी गलत है।

गलत हो भी कैसे इस राशि से कुछ ऐसे प्रयोग भी हुए हैं, जिन्हें नकारा नहीं जा सकता, आई ए एस अधिकारी अपने फोन के रिचार्ज भी नान के पैसे से कराते थे, ऐसे में उनके फोन नंबर की रिचार्ज डेट पुष्टी करती है। डायरी में शुक्ला सर के विदेश जाने के एयर टिकट का जिक्र है, अधिकारी यदि विदेश गए हैं तो उनकी विदेश यात्रा की गवाही उनका पासपोर्ट भी देता है। पर्दे जिस दुकान से लिए गए वह भी सही साबित हो रहा है। डायरी में कुछ ऐसे तथ्य ​भी हैं जो सवाल खड़े होत हैं जो सरकार की मंशा पर सवाल खड़े करता हैं। डायरी में सीएम मैडम को जिस शक्स के माध्यम से पैसे पंहुचाने का जिक्र है, वह शक्स उस अधिकारी का पीए है जो कभी मुख्यमंत्री के संघर्ष के दिनों में पीए हुआ करते थे, और उनके खिलाफ 20 हजार रूपए रिश्वत लेने के मामले में 10 सालों से चलान पेश तक नहीं किया गया।

यह प्रदेश के इतिहास में पहला प्रमाणिक भ्रष्टाचार है जिसकी यदि जांच होती है तो बड़े बड़े नेता और अधिकारी घोटाले की जद में आ जाएंगे। प्रदेश के तमाम शिर्ष अखबार और तमाम मीडिया चैनल्स से यह उम्मीद की जानी चाहिए कि पत्रकारिता का धर्म जीवित रहेगा। इसमें यदि सीधे तौर पर किसी पर लांक्षन न भी लगाया जाए, तो जांच से परहेज क्यों। ईशारे साफ जाहिर कर रहे हैं कि बड़े पैमाने पर जनता के चावल में कंकर मिलाकार भ्रष्टाचार होता रहा। न जाने किस सीएम मैडम ने गरीबों का पैसा खाया, न जाने किस शुक्ला सर ने घोटाले के पैसे से विदेश यात्रा कि, न जाने किस विकासशील सर जिसके डायरी में मोबाइल नंबर तक अंकित है, उन्होनें फोन का बिल पटाया। न जाने किस बहादुर ने मोबाइल गाडी के लिए पैसे ले लिए। तमाम सवाल हैं जो बताते हैं कि पैसों की बंदरबाट जारी है। और यह सालों से चलता रहा है और आगे भी चलेगा।

इधर एसीबी के अपने पैमाने हैं, जिसके उपर उनकी कर्मठता दम तोड़ देती है। प्रदेश के लोगों को यह जानने का अधिकार है कि जिनसे पैसे बरामद हुए उसे तो एसीबी जेल भेजेगी मगर जिन रसूखदारों ने पैसे लिए उनके बारे में जनता को क्यों नहीं पता चलना चालिए। मुख्यमंत्री जी बेहद संवेदनशील हैं। हम प्रदेश के नागरिक हैं, एक बार इसकी जांच तो कराई ही जानी चाहिए मुख्यमंत्री जी ताकि प्रदेश की जनता यह विश्वास कर सके कि आपने जिस चावल की सौगात दी थी, उसमें कनकी और कंकर मिलाकार पैसे कमाने वाले लोगों के चेहरे बेनकाब हो सके, यदि जांच नहीं होती है तो कुछ नया नहीं होगा, छत्तीसगढ़ में आम भ्रष्टाचार की तरह इसमें भी कुछ दिनों बाद मामला शांत हो जाएगा, मगर प्रदेश के सुधी और जागरूक नागरिकों के जेहन में यह सवाल ताउम्र कौंधता रहेगा, कि उनके संवेदनशील सरकार के अधिकारीयों ने चावल में कनकी और कंकर मिलाकर गरिब जनता में बांटा और उस पैसे से विदेश यात्राएं की। यह सवाल शायद कभी इन्हें चैन से सोने भी न दे यदि भीतर ईमान 1 प्रतिशत भी जिंदा है।

देवेश तिवारी पत्रकार 

1 comment:

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