हिंदु धर्म है मूल सनातन धर्म है यह जीवन पद्धती है
मुर्ती की उपासना और पर्यावरण से लेकर नदी नाले पहाड़ पेड़ को ईश्वर मानने वाला विशाल जनमानस हिंदु
इसके पर्याय भगवा, हिंदुत्व, हिंदु
हिंदु कौन , जो ईश्वर पर आस्था रखे, जो मंदीर देवालय जाए, जो मूर्ती का उपासक हो
हां वही विवेकानंद वाला हिंदुत्व जो अपने धर्म को मानता है मगर दूसरों के धर्म की इज्जत करता है
जिसके लिए धर्म संसद में भाईयों और बहनों कहने पर तालियां बजती है
यह तो असली हिंदु हुआ
सियासत वाला हिंदु कौन
जो हिंदु धर्म की जगह हिंदुत्व कहे
जो धर्म को रंग से जोड़े
जो घर घर भगवा छाएगा रामराज फिर आएगा के नारे लगाए।
फिर दोनों में अंतर क्या है
पहला वाला हिंदु है इस भारत का मूल जो विवेकानंद और गांधी ने बताया था
फिर दूसरा वाला हिंदू कौन
जो रामराज्य संवेदनाओं और जनता के सुख के लिए नहीं जो अपने देश और राज्य में केवल हिंदुओं के होने की कल्पना करता है
दूसरा वाला हिंदु वही जो सावरकर का हिंदुत्व है, जिसकी नजर में हिंदु धर्म सर्वश्रेष्ठ है जिसमें दूसरे धर्मों के प्रति अपार घृृणा है
अब इसका आगे समझीए
आपको देश से प्यार है
हां है, आप कौन से वाले हिंदु हैं
असली हिंदु या सियासी हिंदू
मुझे नहीं पता मैं कौन सा हिंदु हूं
अभी पता चल जाएगा।
क्या आपको किसी के यह बताने से प्रभावित हुए हैं कि, उत्तर प्रदेश में मुसलमानों के मोहल्ले में रहना मुश्किल है
क्या आपके सेलफोन में बांग्लादेश की फोटो को बंगाल का बताकर भेजा गया कि, हिंदु भाईयों को काटा गया
क्या आपको दूसरे देशों की गोहत्यों को बंगाल केरल या असम का बताकर भेजा गया।
हां भेजा गया उससे मुझे दु:ख हुआ
तो आपने फैक्ट चेक किया कि, यह असल में वहां का है या कहीं और का
हां चेक किया, कई मामले देश के निकले कई बाहर के निकले
ठीक
फिर इस तरह की चिजों को आप क्या मानते हैं यह उस राज्य के कानून व्यवस्था का मसला है या धर्म विशेष के सामने सत्ता लाचार है
क्या करना चाहिए जनता को फैसला खुद करना चाहिए या कानून को करना चाहिए।
कानून नहीं कर रहा है तो क्या आपको देश के कोर्ट पर भरोसा है नहीं है तो होना चाहिए
अगर आपको लगता है कि हिंदुत्व खतरे में है तो आपको बिमार किया गया है आप सावरकर वाले हिंदु हैं
अगर आपको लगता है राज्य सरकारें कानून व्यवस्था नहीं सम्हाल पा रही तो आप असली हिंदु हैं विवेकानंद और गांधी वाले।
चलिए आपको तिरंगे से प्यार है
हां है
फिर तो आपको भारत के संविधान से भी प्यार होगा
मैने संविधान पढ़ा ही नहीं है
उसकी प्रस्तावना पढ़ी है
नहीं पढ़ी
उस प्रस्तावना में क्या है
नहीं पढ़ा तो पढ़िए
प्रस्तावना
हम भारत के लोग, भारत को एक सम्पूर्ण प्रभुत्व सम्पन्न, समाजवादी, पंथनिरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक गणराज्य बनाने के लिए तथा उसके समस्त नागरिकों को :
न्याय, सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक,
विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता,
प्रतिष्ठा और अवसर की समता प्राप्त करने के लिए तथा,
उन सबमें व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता और अखण्डता सुनिश्चित करने वाली बंधुता बढाने के लिए,
दृढ संकल्प होकर अपनी इस संविधान सभा में आज तारीख 26 नवंबर, 1949 ई0 को एतद द्वारा इस संविधान को अंगीकृत, अधिनियमित और आत्मार्पित करते हैं।"
हमारा संविधान सभी धर्मेां को उपासना करने की स्वतंत्रता देता है
हमारा कानून किसी भी अपराध पर दोषी और प्रार्थी को एक मानव ईकाई मानता है
फिर यदि आप दूसरे वाले हिंदु हैं
तो आपको देश से प्रेम होने का भ्रम मात्र है
असल में आपने देश की आत्मा संविधान का पहला पन्ना भी नहीं पढ़ा
और बहुत बड़े देशभक्त बनने का आडम्बर कर रहे हैं
और अगर आप पहले वाले हिंदु हैं तो आपको सेक्यूलर कहे जाने पर खुश होना चाहिए
क्योंकि, आप संविधान के हिसाब से चल रहे हैं
लोग आप पर हंसेंगे
आपका उपहास करेंगे
मगर अपनी आत्मा से आप संतुष्ट रहेंगे कि, आप हिंदु होने के साथ साथ देशभक्त भी हैं क्योंकि, आप भारत के संविधान पर आस्था रखते हैं
हर सेक्यूलर भारत के संविधान पर आस्था रखता है
यह गाली नहीं है यह देशभक्ति का प्रमाणपत्र है