Friday, February 25, 2011

माँ मुझे भूख लगी है - देवेश तिवारी

माँ मुझे भूख लगी है                        

दौड़ता रहा माँ भागता रहा माँ
गरीबी की पीड़ा को भाँपता रहा माँ
बेरहम दुनिया ने मुझे बहुत सताया
अब थककर माँ मै तेरे पास आया             कुछ खाने को दे माँ, मुझे भूख लगी है

जो अपने थे कल तक अब पराये हैं माँ
दहलिज पर काँटे बिछाये हैं माँ
जहाँ भी गया मुझे सब ने ठुकराया
मन हारकर माँ मै तेरे पास आया
                     कुछ खाने को दे माँ, मुझे भूख लगी है
वो देख माँ रोटी कुत्ते भी खा रहे हैं
परोपकारी संसार को कैसे मुँह चिढ़ा रहे हैं
जो पेट ना होता तो ये भूख भी ना होती
न माँ तू मेरे सिराने पर यूँ रोती
                    कुछ खाने को दे माँ, मुझे भूख लगी है
मुझे लगा तह माँ मै अकेला रो रहा हूँ
पर तेरी आँखों में भी मै आँसू देख रहा हूँ
तू चुप हो जा माँ मै रोटी खोज कर लाऊंगा
तू हाथ नहीं फैलाना माँ मै जीते जी मर जाऊंगा
                    तू चुप हो जा माँ, मेरी भूख मर चुकी है -

Friday, February 18, 2011

(( “ देश के लुटेरे ” )) नई फ़िल्म - देवेश तिवारी


(( देश के लुटेरे )) आपने समुन्दर के लुटेरे फ़िल्म जरुर देखी होगी नहीं भी देखा है तो कोई बात नहीं मैंने एक फ़िल्म बनाने कि सोची है ये जरुर देखिएगा .. इस फ़िल्म के लुटेरों कि खास बात ये है कि ये अपने ही जहाज को लुटते हैं इसमें तीन लुटेरे हैं वैसे तो लाखो लुटेरे हैं | लेकिन तीन ही मुख्य हैं इसमें एक किरदार अहम है मगनमोहन उसकी बिल्ली का नाम गठबंधन है यह लुटेरों के जहाज का सेनापति है, जो खुद लुट में खुद शामिल नहीं होता लेकिन चूँकि ये सेनापति है और इसने लुटेरों के साथ गठबंधन किया है इसलिए ये खामोश रहता है | ये कभी हाई स्कुल का छात्र बन जाता है कभी अपनी मजबुरी का बहाना बना कर बच निकलता है अपने जहाज को लुटता देख मगनमोहन बड़ी निर्लज्जता से हस्त भी है | इनका  जहाज पर कभी महंगाई के बारिश में फँस जाता  है तो ये कहते हैं कि हमारे पास इससे बचने कि कोई अलादीन का चिराग नहीं है जो बड़ी सी छतरी बना दे | ये बारिश पर काबू पा लेने कि बात तो करते हैं लेकिन जिन लोगों ने इनके जहाज को बनाया है वे बड़े ही निकम्मे और बेवकूफ लोग हैं कभी कभार तो जहाज बनाते हैं वो भी  शराब , साडी , या किसी दूसरे लालच में | इस कहानी का अंत कभी नहीं होता ये भ्रष्टाचार के लहरों  में तैरते रहते  हैं और खजाना लुटते रहते हैं हा जो मगनमोहन है उसके सेनापति बनने में उसकी बिल्ली गठबंधन का बहुत बड़ा हाथ है वो दूसरे लोगों को मनाने का कम करती है इस फ़िल्म में एक किरदार है झलमाडी जो समुन्दर में खेल प्रतियोगिता कराता है और अपने ही जहाज का पैसा लुट लेता है , एक किरदार है ए माजा ये लोगों को फोन बाटने का काम करता है और खजाना लुट लेता है और एक किरदार है शोक चंडाल, ये अपने सिपाहियों के लिए घर बनाता है और खुद हड़प लेता है मगनमोहन इनको कभी कभार छोटी मोटी सजा भी देता है इन सबके पीछे है मास्टर माइंड तानिया ये तानिया मगनमोहन कि भी बॉस है उसके इशारे पर जहाज चलता है ऐसा बताया जाता है कि उसके पुरखों ने जहाज को बनाने में बड़ी मेहनत की थी ये जहाज टाइटेनिक भी नहीं है जो ग्लेशियर से टकराकर डूब जाए | अरे मैंने तो आपको जहाज का नाम ही नहीं बताया जहाज का नाम है भारत हा इस फ़िल्म के दर्शको का मैंने अनुमान लगाया है जो कभी कभार तालियाँ बजाते हैं बाकि समय हाथ पर हाथ धरे देखते रहते हैं ..........  - देवेश तिवारी

Tuesday, February 15, 2011

छत्तीसगढ़ की माटी पर हमको है अभीमान

छत्तीसगढ़ की माटी पर हमको है अभीमान

दण्डकारण्य नाम था जिसका वह पावन यह धाम है                       
इस माटी पर आए इक दिन स्वयं राम भगवान हैं
रामगढ़ और शिवरीनारायण सब इसके पहचान हैं
इतीहासों की जननी कुटुमसर छत्तीसगढ की जान है
          
            छत्तीसगढ़ की माटी पर हमको है अभीमान
            छत्तीसगढ की पुण्य भूमी है सब तिर्थों से महान

महानदी और पैरी जिस पर बहते दिन और रात हैं
इंद्रावती की कलकल हर पल चित्रकुट क्या बात है
बांगो खुड़िया खुंटाघाट यहां पर यहां नहरों का जाल है
शिवनाथ हसदेव का जल है पावन अरपा नदी विशाल है 
            
            छत्तीसगढ़ की माटी पर हमको है अभीमान
             छत्तीसगढ की पुण्य भूमी है सब तिर्थों से महान

बोली यहां है आदीवासी सरल है हल्बी और माड़ीया
पुरे राज के मुख में बसता मधुर मीठा सा छत्तीसगढ़ीया
करमा ददरीया और पंडवानी इनकी तो है बात निराली
सुआ नाचा गम्मत गेंड़ी त्योहारो में भोजली हरेली
          
            छत्तीसगढ़ की माटी पर हमको है अभीमान                                 
            छत्तीसगढ की पुण्य भूमी है सब तिर्थों से महान

चंद्रपुर में चंद्रहासिनी रतनपुर महामाया  का सुन लो नाम
बमलेंश्वरी देवी है दयालु दन्तेश्वरी का पावन धाम
साहस का प्रतिक वन भैंसा बस्तर का जंगल घनघोर
उंचे उंचे पर्वत के टीले सुनो पहाड़ मैना की तान चंहुओर 
           
                  छत्तीसगढ़ की माटी पर हमको है अभीमान
                  छत्तीसगढ की पुण्य भूमी है सब तिर्थों से महान

लौह अयस्क में अग्रणी राज्य है बाक्साईड की यहां है खान
बिजली उत्पादक यहां है कोरबा छत्तीसगढ का बढ़ा है मान
उद्योगों में बढ़ता राज्य यहां स्टिल उगाया जाता जाता है
विकासशील राज्यों की सुची में  यह सर्वश्रेष्ठ कहलाता है
           
             छत्तीसगढ़ की माटी पर हमको है अभीमान
             छत्तीसगढ की पुण्य भूमी है सब तिर्थों से महान

छत्तीसगढीयों ने सदा माता को रक्त पुष्प का भेंट चढ़ाया
विश्वसनीय छत्तीसगढ नारा देकर मुखिया ने भी मान बढ़ाया
दस वर्षों का बालक छत्तीसगढ अब विश्व में जाना जाता है
विकास करता अनुपम राज्य यह  नए किर्तीमान बनाता है
           
            छत्तीसगढ़ की माटी पर हमको है अभीमान
            छत्तीसगढ की पुण्य भूमी है सब तिर्थों से महान
                                                                                        देवेश तिवारी ...........

Sunday, February 6, 2011

क्या हो रहा है - देवेश तिवारी


धधक धधक कर जलती सड़कें गली गली में लाशें हैं
जोंक बना सरकारी तंत्र सभी खून के प्यासे हैं

सांसद के गलियारों में मुद्दा महंगाई का छाया है
और प्रधानमंत्री जी ने प्याजी बड़ा बनवाया है
यूपी कि जो बात करें तो अपराधों कि माया है
देख दशा दयनीय देश कि आज गला भर आया है

सरकारी खजाने कि तिजोरी पर कैसे डाके पड़ जाते हैं
घोटालेबाज नापाक दरिंदे सीढी सांसद कि चढ जाते हैं
कितने ही गरीब देश के रोज भुख  से मर जाते हैं
और लाखो तन अनाज गोदामो में पड़े-पड़े सड़ जाते हैं

सुरक्षा कि क्या बात सुनाये रक्षक भक्षक बन बैठे हैं
जिम्मेदार सभी नुमाइंदे अजगर बन कर ऐठें हैं
त्राहिमाम कि उठ रही आवाजें दबे कुचलों कि आहों में
मीडिया अदालतें जाँच एजेंसियां हुक्मरानों कि बाँहों में

बेखौफ आतंकी देश  मे खुनी कोहराम मचाते हैं
लड़ते हुए करकरे सालस्कर बली वेदी चढ जाते हैं
वीरों कि विधवाओं को हम मुआवजा दे फुसलाते हैं
और अफजल कसाब को जेलों में बिरयानी पहुंचाते हैं

तिरंगा फहराने कि नहीं आजादी अब लाल चौक कश्मीर में
क्या अब लालिमा घटने लगी है लाल किले कि प्राचीर में
बेगैरत हो रहे जन प्रतिनिधि भाग  रहे  जिम्मेदारी  से
लाशों का ढेर लग गया उद्योगपतियों कि लापरवाही से 

देवेश तिवारी